दिल्ली और पुरे देश को हवा के जहर से बचा सकता है ये अविष्कार

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7 नवम्बर 2017, विश्व गुरु भारत की राजधानी दिल्ली का नाम विश्व के इतिहास में अपना नाम काले अक्षरों में दर्ज करा ही गया। कल दिल्ली की हवा में जहर 1556 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ये मात्रा 35.5 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक हो तो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।

मैंनें जहर क्यों बोला?? क्यों कि ये मात्रा pm 10 की नहीं थी ये मात्रा pm 2.5 की थी।

सवाल ये कि दोषी कौन?? उत्तर है हम सभी। सवाल ये कि क्या हम इस पर लगाम लगा सकते हैं?? उत्तर है बिलकुल नहीं। क्यों नहीं??? क्योंकि यह प्रदूषण आधुनिक विकास का जहरीला फल है और यह फल हम सब को खाना ही है। यह प्रदूषण GDP के साथ बढ़ता है और हर देश की, हर राज्य की सरकारों का काम यह GDP बढ़ाना ही तो है।

आज किसी भी देश के विकास का पैमाना उसकी पैट्रोलियम व कोयला फूंकने की क्षमता से होता है। अमेरिका ये चीजें सबसे ज्यादा फूंकता है तो वह संसार में सबसे विकसित देश है, वहाँ कारें सबसे ज्यादा हैं ना। दिल्ली कैसे अमेरिका से पीछे रह सकती है??

दिल्ली में सन् 1950 में सड़क पर जब पहली लाल बत्ती लगी तो लोग हंसे थे क्यों कि दिल्ली में कारों व दुपहिया वाहनों की संख्या ना के बराबर थी। वह संख्या आज एक करोड़ पांच लाख से ज्यादा पहुंच चुकी। अब भी इस पर कोई पाबंदी नहीं है तथा दिल्ली की इन गाड़ियों की जमात में आए साल दस लाख से ज्यादा नयी गाड़ियां जुड़ रही हैं।

आज की दिल्ली 12 दिसंबर 1911 को अस्तित्त्व में आई थी, 11 दिसंबर 1911 तक दिल्ली पंजाब के रोहतक जिले की तहसील थी तथा उस समय दिल्ली की कुल आबादी दो लाख चोंतिस हजार के आसपास ही थी जिनमें 357 शुद्ध भारतीय गांव थे।

और आज 2017 में?? ज्यादा लिखणे से कोई फायदा नहीं क्योंकि आप सभी सबकुछ जानते समझते हैं। मेरा क्या मैं तो ठहरा अणपढ़ जाट। दुसरी बात की ये वायु प्रदूषण सिर्फ दिल्ली वालो का सरदर्द नहीं है ये तो कमोबेश हर शहर की कहानी है।

मुद्दे से ना भटकते हुए चलो वायु प्रदूषण के इस दानव से छुटकारे के बारे में सोचें। ना कार कम हो सकती ना ही फैक्ट्रियों को ताला लगाया जा सकता। और ना ही यह हैलीकॉप्टर से पाणी छिड़क कर कम किया जा सकता और ना ही घर घर एयर प्यौरिफायर लगा कर। ये कम किया जा सकता है अपने अपने बेडरूम को गाय के गोबर व चिकनी मिट्टी से लीप कर ….

चौंक गए ना???

जी हां, अपने अपने घरों की दीवारों व आंगन (फर्श) को चिकनी मिट्टी व गाय के गोबर से लीप कर तो देखिए आपको स्वयं घर की हवा में अन्तर महशूस होगा। चिकनी मिट्टी का सबको पता है और गाय के गोबर का भी, इन दोनों के मिश्रण से आदि काल से मानव अपने घरों को लीपता आया है व अपने अपने घरों को वायु प्रदूषण मुक्त रखता आया है लेकिन आधुनिक विज्ञान व शिक्षा से इसको बड़ी चतुराई से बाहर निकाल फैंका क्योंकि ये दोनों GDP नहीं बढाते।

आओ अब इस विज्ञान को समझते हैं।

चिकनी मिट्टी व गाय के गोबर के लेप में बहुत ही सुक्ष्म छिद्र होते हैं जोकि घर में घुसने वाले pm 2.5 व pm 10 के जहरीले कणों को अपने अंदर अवशोषित कर लेतें हैं तथा आयनिक बोंड द्वारा उसे जकड़े रखते हैं। यह प्लास्टर अपनी सतह की आठ गुणा मोटाई दूर तक हवा में फैले हानिकारक तत्वों को अपने तक आकर्षित करने की क्षमता रखता है अतः यह हमारे घरों भवनों की हवा को प्रदूषित होने ही नहीं देता बल्कि बाहर से आने वाली अशुद्ध हवा को भी लगातार साफ करता रहता है।

इस लेप की सबसे बड़ी खासियत इसकी हवा की नमी को बरकरार रखने की इसकी विशिष्टता है। हमारी त्वचा व हमारे फेफड़ो को हवा में 50 से 60% तक नमी चाहिए ताकि वो स्वस्थ रह सकें तथा हमें स्वस्थ रख सकें। नमी को बरकरार रखने का यह गुण ना लकड़ी में होता ना ही पत्थर में और सीमेंट में तो बिलकुल भी नहीं। जब नमी कम हो जाती है तो गोबर मिट्टी का यह लेप नमी छोढणे लगता है तथा जब ज्यादा होती है तो यह उसे शोख लेता है।कम या ज्यादा नमी में पनपने वाले रोगाणु इसमें पनप ही नहीं सकते।

रही बात गोबर गाय का ही क्यों??

गाय का गोबर इस में दो काम करता है। पहला गाय के गोबर में किसी भी जीव के गोबर से ज्यादा म्यूकोसा व प्रोटीन की झिल्ली होती है जो कि मिट्टी को लम्बे समय तक बांधकर रखती है तथा पानी की अधिकता के कारण भी यानि बरसात के मौसम में भी उसे उतरने नहीं देती। गाय के गोबर में एक समान रेशे होते हैं जो मिट्टी को मजबूती प्रदान करते हैं।

सिर्फ इतना कर आप दिल्ली या किसी भी जगह के वायु प्रदूषण से बच सकते हैं। स्वयं व अपने परिवार को स्वस्थ रख सकते हैं। कहने का मतलब है कि यह हमारे पूर्वजों की खोज हमारे लिए एक वरदान है लेकिन आज की पढाई ने हमें कहीं का नहीं छोढ़ा, आज मिट्टी व गोबर में हाथ देने को ही अस्वच्छता का प्रतीक मान लिया गया है। आप यह लेप स्वयं करें, अगर आप नहीं कर सकते तो हमने आपके लिए गोबर जिप्सम का लेप वैदिक प्लास्टर तैयार किया है जिसमें ये सभी गुण हैं, आप हमें सेवा का मौका देंः-

  • दिल्ली के लिए संपर्क करेंः- श्री सुरेंद्र गोयल 9810990151
  • हरियाणा के लिए संपर्क करेंः- श्री सुनील आर्य 9467647961
  • जयपुर व राजस्थान के लिए संपर्क करेंः- श्री मुकेश शर्मा 9782572949

अधिक जानकारी व प्रत्यक्ष रूप से देखने व अनुभव करने के लिए आप वैदिक भवन रोहतक आ सकते हैं। आपकी सेवा में, आपका अपणा डॉ. शिव दर्शन मलिक – 98120-54982

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