नमस्कार दोस्तों, आपका हमारी वेबसाइट में एक बार फिर से बहुत बहुत स्वागत है. यहाँ आपको राजीव दीक्षित जी द्वारा बताई गयी घरेलू औषधीय एवं नुस्खे प्राप्त होंगे. तो दोस्तों आज के आर्टिकल का विषय है आँखों का इलाज. आँखों का एक रोग होता है जिसको कैटरेक्ट यानि मोतियाबिंद के नाम से जाना जाता है. अगर आप बिना किसी ऑपरेशन के अपनी आँखों को वापिस ठीक करना चाहते है तो उसके लिए कांदे का रस आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा. अगर आप चाहते है कि ज़िन्दगी भर आपको चश्मा न लगे न ही आँखों में किसी प्रकार की बीमारी लगे तो आप कांदे के रस को आँखों में जरुर डालें.
कौन सा कंदा लेना है और कितना
एक बात हमेशा याद रखियेगा कि लाल दिखने वाला कांदा हमारे किसी काम का नही होता. क्योंकि औषधिये गुण तो केवल सफेद कांदे में ही होते है. एक चमच कांदे का रस ले और उसमे एक चमच्च निम्बू का रस मिला लें. कोशिश करें कि निम्बू साधारण वाला न इस्तेमाल करें, उसकी जगह बेदाना निम्बू इस्तेमाल करें. बेदाना निम्बू ऐसा निम्बू होता है, जिसमे कोई बीज नही रहता या इसमे बहुत कम बीज होते है और ये औषधिये गुणों से भरपूर रहता है. फिर इसमें आप तीन से चार चम्मच मध (शहद) मिला दीजिये. उसके बाद इसमें गुलाब जल के रस का एक चम्मच मिला लें, इन चारों को मिलाकर एक बाटली (बोतल) में भरकर रख लीजिए और सब को खूब अच्छे से मिलाकर, हर रोज एक एक बूंद आंखों में डालिए. अगर इसको आपने एक महीने तक आँखों में डाल लिया तो आपका मोतियाबिंद ठीक हो जायेगा.
इस सलूशन को अगर आप समान्य तापमान पर बाटली में 4-5 महीने तक भी रख लें, तो भी ये खराब नही होगा, और इस रस को रात में सोने से पहले एक से दो बूंद आंखों में डाले रहियेगा. एक महीना होने के बाद आपका मोतियाबिंद खत्म कर देगा.
कुछ अन्य बिमारियों के लिए
एक और बीमारी है आंखों की जिसको ग्लूकोमा कहते हैं, ग्लूकोमा यानि कि आँखों में हमेशा काला पानी रहना और सब कुछ काला काला नज़र आना. इस बीमारी के लिए ये रस बहुत उपयोगी सिद्ध होगा. Retinal Detachment नामक बीमारी जिसका मतलब है आँखों के पर्दे का खिंच जाना, इस बीमारी के लिए भी कांदे का रस बहुत लाभदायक है. कुछ लोग ऐसे भी है, जिनके धर्म में कांदा खाना वर्जित है, उनके लिए इससे भी अच्छी एक औषध है, जिसका नाम है गाय का मूत्र. आप गोमूत्र इकट्ठा कर लें, और एक एक बूँद सोते समय आँखों में डालें.
अगर आप गोमूत्र को कांच की बोतल में रखेंगे तो ये कभी भी खराब नहीं होगा. गोमूत्र 10 से 40 साल सुरक्षित रखा जा सकता है. इसमें कभी भी जंतु नहीं पड़ते. ऐसा कहा जाता है गंगाजल में और गोमूत्र में कभी भी जंतु नहीं पड़ते मतलब कि गंगाजल में जितनी पवित्रता है, उतनी गोमूत्र की भी पवित्रता है तो इसको आप भरपूर इस्तेमाल करिए.
इस विडियो में देखिए इसे कैसे बनाना है >>