राजीव भाई हमेसा कहते थे कि अमेरिका को ये भी मालूम है कि भारत के पास उनसे ज्यादा वैज्ञानिक है, डॉक्टर है, इंजीनियर है। भारत से ज्यादा वैज्ञानिक एक ही देश में है वो है चीन। भारत में ए केटेगरी के साइंटिस्ट की संख्या 60,000 है और अमेरिका में यही 12 या 13 हजार के आसपास है। हमारे देश में तो कुछ ऐसे भी दिमाग वाले लोग है जो उच्चत क्वालिटी के टेकनीकल दिमाग वाले है जिनसे अमेरिका और ज्यादा परेसान रहता है,
भारत में कुछ ऐसे दिमाग है अगर आप उनको एक बार मशीन खोलकर दिखा दो तो वही मशीन वो खुद बनाकर आपको बेच देंगे, इस तरह के बहुत दिमाग है इस देश में। और ऐसा दिमाग भारत में उल्लास नगर एरिया में सबसे ज्यादा रहता है जिनको आप एक बार कोई मशीन दिखाओ और फिर वही मशीन आप उनसे बनवा लो। अभी कुछ लोग इसको मजाक मानते है
कुछ लोग कहते है इसमे क्या है नक़ल ही तो करना है लेकिन उनको ये नहीं मालूम कि नक़ल करने के लिये भी अकल लगती है, अगर ये आसान होता तो सब क्यों नहीं कर लेते ये नक़ल। अगर आपको कोई एक मशीन खोलकर दे दी तो आप वही दूसरी नही बना पाओगे, और बनाना तो दूर आप उसको खुली हुई को जोड़ भी नहीं पाओगे कि कौन सा नट कहा लगाना है कौन सा बोल्ट कहा लगाना है एक तो ये उल्लास नगर के एरिया में ऐसा दिमाग है या पंजाब में लुधियाना, जालंधर के एरिया में ऐसा दिमाग है या गुजरात के सोराष्ट्र के आसपास के एरिया में ऐसा दिमाग है
अब आपको एक प्रेरणादायक किस्सा सुनाते है- भारत में एक बहुत बड़ी कंपनी है जिसका नाम है अजंता क्लॉक, जो 100% स्वदेशी कंपनी है, एक बार राजीव भाई उसको देखने के लिये गए। तो कंपनी के मालिक ने कहा कि चलिए राजीव भाई मै आपको पूरी कंपनी दिखाता हूँ, फैक्ट्री दिखाते दिखाते वो राजीव भाई को एक मशीन के पास ले गए जो घड़ी का बैलेंस सेट करने के लिये प्रयोग में लाई जाती है। मालिक ने कहा राजीव भाई इस मशीन को ध्यान से देखिये। राजीव भाई ने कहा इसमे क्या खास बात है। तो उन्होंने कहा ये 100% स्वदेशी मशीन है।
जब राजीव भाई ने उसको देखा तो उनको आश्चर्य हुआ कि ये मशीन किसी व्यक्ति ने बनाई कैसे है क्योकि पूरी दुनिया में वो मशीन सिर्फ जापान में बनती है कभी पहले स्विजरलैंड में बनती थी अब वहा भी नहीं बनती। और वो मशीन 60-70 लाख की आती है। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा की ये मशीन एक राजकोट के मेंकनिक ने बनाई। राजीव भाई ने कहा उस आदमी से मिलवाइए तो उन्होंने कहा वो अभी बाहर गया है आप बाद में आकार उनसे मिल सकते है। फिर राजीव भाई ने पूछा कि ये मशीन बनाने के खर्च कितना आया। तो मालिक ने कहा कि राजीव भाई आप विश्वास नहीं करेंगे मात्र 90 हजार रूपये इस मशीन पर खर्च आया।
जो मशीन अभी तक सिर्फ जापान बनाता था जिससे घडी बनाने जैसे सेंसिटिव कार्य किये जाते है, आपको मालूम ही है कि घडी और क्लॉक बनाना बहुत सेंसिटिव काम है। और सेंसिटिव चीज बनाने के लिये सेंसिटिव मशीन की ही जरुरत होती है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि वो व्यक्ति पढ़ा लिखा नहीं है लेकिन उसका दिमाग बहुत तेजी से चलता है।
हम आजकल मानते है कि जिसके पर डिग्री नहीं वो कुछ नहीं लेकिन बिना डिग्री वाले भी बहुत से इंजीनियर इस देश में है, इसी तरह के खोजी दिमाग वाले लोगो से अमेरिका घबराता है क्योकि अगर इस तरह के लोगो की संख्या गिनी जाये तो इतना टेकनिकल Expertise और टेक्निकल मैन पॉवर हमारे पास है जिसकी कल्पना कोई देश नहीं कर सकता।
ये तो हमारे देश ने नेताओ की बेवकूफियां वाली नीतियाँ है जिससे इस तरह के टेकनिकल दिमाग का कोई promotion नहीं होता, और समाज में इज्जत नहीं मिलती अन्यथा हिन्दुतान को असली तकनिकी देने वाला क्लास यही है, यही क्लास चीन में भी है इसलिये अमेरिका चीन से भी घबराता है। अमेरिका को डर है कि चीन और भारत हमसे आगे कभी निकल सकते है इसलिये वो कुछ ना कुछ खुरापात करता रहता है और भारत की प्रतिभा को हर साल अपने देश ले जाता है पैसे की ताकत से या पॉवर से, इसके बारे में आप विस्तार से भारत का प्रतिभा पालन लेक्चर में सुन सकते है|
सारी जानकारी लिख पाना असंभव है ये विडियो देखिए >>