इसके आगे का जो सूत्र है वो बहुत अच्छा है बहुत इंट्रेस्टिंग है इस देश में उसपे बहुत रिसर्च हुए है, वो ये कि आपने जो कुछ खाया है, उससे शरीर को मास, वीर्य, रक्त मल-मूत्र आदि मिलते है जो काम का है वो शरीर के अंदर जाएगा और जो काम का नहीं है वो बाहर आयेगा जैसे मास, मज्जा, वीर्य, रक्त शरीर के काम का है तो शरीर में रहेगा और मल मूत्र जो काम का नहीं है, वो शरीर से बहार आएगा. इसके साथ कुछ सूक्ष्म तत्व और Micronutrients रहेंगे.
आपने जो कुछ खाया है इस खाने में माइक्रो नयूतिंट्स है, जिनके अलग अलग तरह के नाम आपने सुने है जैसे कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन आदि. इन्ही नमो में जो सबसे महत्वपूर्ण नाम है जिसका नाम शक्कर है. जो कुछ भी खाया है इसके खाद्य तत्व में जो सबसे तीव्र शरीर के काम आता है वो शक्कर तत्व है. इसे आप ग्लूकोज भी कह सकते है. शक्कर ये नही जो बाजार में मिलती है, ये तो चीनी है.
कभी भी चीनी ना खाए, ये विडियो देखे >>
आयुर्वेद में ऐसा एक सूत्र लिखा है कि शरीर को भोजन में से मिलने वाली जो शक्कर है, ये तेजी के साथ मिले और इसके बीच में कोई रुकावट न आये, ऐसी कोई चीज भोजन में मत मिलाये. अब ये बात उन्होंने साढ़े तीन हजार साल पहले कही है. आप देखिये कैसे महान लोग हमारे देश में हुए जिन्होंने साढ़े तीन हजार साल पहले ये कह रहे है कि भोजन के रूप में जो शक्कर आपको मिलने वाली है, ये तेजी के साथ आपको मिले और इसको मिलने में कोई रुकावट न आये ऐसी कोई वस्तु भोजन में मत खाइए.
राजीव भाई ने आज के आधुनिक विज्ञानं के हिसाब से ढूँढना शुरू किया कि हमारे आज के भोजन में ऐसी कोण कोण सी चीजे है जो भोजन के अंदर मौजूद नेचुरल शुगर को उपयोग में आने में रुकावट डाल रही है. तो परिणाम चौका देने वाले थे.
हमारे देश में एक बहुत बड़ी लेबोरेटरी है जिसका नाम CDRI (CENTRAL DRUG RESEARCH CENTER) है. राजीव भाई वहा पर गए और कई साइंटिस्ट से इस बारे में बात की कि आप बताइए कि हमारे भोजन में ऐसी कौन कौन सी चीजे है जो हमारे भोजन के प्राकृतिक शक्कर को शरीर के लिए उपयोग में आने से रोकती है तो सभी वैज्ञानिको ने एक स्वर से जिस वस्तु का नाम लिया था, उसका नाम चीनी है, हां वही चीनी जो आप चाय में डालते हो.
दोस्तों अगर आप एक सुखी और निरोगी जीवन चाहते है तो आप चीनी से इतनी घृणा करे उतना अच्छा है. ये सबसे खतरनाक चीज है. अगर यहाँ आप में से केमिस्ट्री के स्टूडेंट यहाँ हो तो इशारे के लिए बोल देता हूँ कि ये जो चीनी है ना ये जो गन्ने के रस से बनाई जाती है ये Polysaccharides है और हम जो भोजन में से ले रहे है वो सब Monosaccharide’s है.
ये जो Polysaccharides है ये भोजन से मिलने वाली MonoMonosaccharide’s को डाइजेसट होने में सबसे ज्यादा रोकती है. भोजन के अंदर की जो Monosaccharide’s है वो इस Polysaccharides को बदलने के लिए लगातार झगड़ा करती है और इस झगड़े में सबसे ज्यादा वास्ता होता है हमारे शरीर का जो द्रव है जिसे आप इन्सुलिन कहते है उसका. और इस इन्सुलिन को pPancreas (शरीर का एक अंग) पैदा करती है. मतलब सीधा सा ये है कि अगर आप चीनी खरीद के खायेंगे तो ये चीनी आपके शरीर में जो भोजन में से मिलने वाली नेचुरल शुगर है उसको रोकेगी और उसमे सबसे ज्यादा इन्सुलिन पैदा होगा. इन्सुलिन ज्यादा पैदा करने के लिए Pancreas को ज्यादा काम करना पड़ेगा. pPancreas अगर ज्यादा करने लगी तो लग गयी तो आपको 101% डायबटीज होगी और जिनको डायबटीज होगा, उनको हार्ट अटैक होगा, उनको नपुंसकता होगी, आंखे भी कमजोर होने लगेगी, वो बच्चे पैदा नही कर सकते, वो कुछ नही कर सकते, उनकी जिंदगी ही अपने ऊपर भोज है.
साढ़े तीन हजार साल पहले भारत के एक महान वैज्ञानिक (महर्षि वागभट्ट) ने ये कहा था कि भोजन में ऐसी कोई चीज मत खाइए जो प्राकृतिक भोजन को शक्कर में अवशोषित करने में दिक्कत करे. ये साढ़े तीन हजार साल बाद हम देख रहे है कि ये हमारी आँखों के सामने सिद्ध हो रहा है. अपने रसोईघर में अगर किसी चीज से घृणा करनी हो तो वो यही है चीनी. चीनी से घृणा करे, इतनी घृणा करिये की जितनी आप अपने दुश्मन से भी नही करते. अगर आपको अगर मेरी विनती स्वीकार करनी हो तो अपने रसोईघर से इस चीनी को निकाल बाहर करिये. इसे कभी मत लाइए
इस विडियो में देखिए चीनी कैसे बनाई जाती है >>
अब आप बोलेंगे फिर इसके स्थान पर क्या खाए. तो जवाब ये है कि गुड खाइए. आप बोलेंगे गुड और चीनी में क्या अंतर है. इन दोनों में बहुत अंतर है चीनी बनाने के लिए गन्ने के रस में 23 जहर (केमिकल) मिलाने पड़ते है, और ये सब वो जहर है जो शरीर के अंदर चले तो जाते है लेकिन बाहर नहीं निकल पाते. और गुड एक अकेला ऐसा है जो बिना किसी जहर के सीधे सीधे बनता है गन्ने के रस को गर्म करते जाओ, गुड बन जाता है. इसमे कुछ मिलाना नही पड़ता. ज्यादा से ज्यादा उसमे दूध मिलाते है और कुछ नही मिलाना पड़ता.
इस विडियो में देखिए गुड कैसे बनाया जाता है >>
चीनी चीनी बनाने के लिए इसमे कई तरह के फार्मलीन मिलाने पड़ते है फार्मलीन दुनिया का सबसे खराब जहर है जो चीनी बनाने में उपयोग होता है. बिना फार्मलीन के चीनी बनती नही सकती और फर्मिलिन कितना खराब जहर है, ये आप केमिस्ट्री की डिक्शनरी में देख सकते है. उसमे साफ लिखा है कि .0.5 मिलीग्राम फार्मलीन किसी भी आदमी को कैंसर से मार देने के लिए पर्याप्त है. इसलिए चीनी मत खाइए, गुड खाइए. आप कहेंगे कि गुड मिलता नही है. डिमांड करिये मिलने लगेगा. अर्थशास्त्र का एक सिधांत है कि मांग करो तो सप्लाई आयेगी, डिमांड करो तो सप्लाई आयेगी.