करी पत्ता (मीठा नीम) का पेड़ साल भर हर भरा रहता है। यह नीचे झुका हुआ संतरे की नस्ल का पेड़ है। इसकी पत्तियों को को ही करी पत्ते के नाम से जाना जाता है, जिसमें “किओनिजिन’ नाम का ग्लूकोसाइड रहता है। यह थोड़ा कड़वा और सुगंधित होता है और इसका उपयोग भारतीय घरों में कई प्रकार के पकवानों को सुगंधित बनाने के लिए किया जाता है। करी के पेड़ भारत और श्रीलंका में अधिक होते है।
दक्षिण भारत में सदियों से करी पत्ते का उपयोग सब्जियों में प्राकृतिक सुगंध देने के लिए किया जाता है। हरा धनिया, कच्चे नारियल और टमाटर के साथ इसकी पत्तियों को मिलाकर स्वादिष्ट चटनी बनाई जाती है। करी के पत्ते, छाल एवं जड़ का उपयोग देशी दवाइयों में टॉनिक, Stimulant और एंटीफ्लेटूलेंट के रूप में किया जाता है।
करी पत्ते में एंटी-डायबिटिक एंजेट होते हैं। यह शरीर में रक्त शुगर स्तर को कम करता है। साथ ही, इसमें मौजूद फाइबर भी डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। करी पत्ता मोटापे को कम करके डायबिटीज दूर कर सकता हैं। करी पत्ते में रक्त कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाले गुण भी होते हैं, जिससे दिल की बीमारियों से बचाव होता हैं।
यह एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल का ऑक्सीकरण होने से रोकते हैं। करी पत्ते में कार्बाजोल एल्कलॉयड्स होते हैं, जिससे इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं। ये गुण पेट के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। यह पेट से पित्त भी दूर करता है, जो डायरिया होने का मुख्य कारण है। अगर डायरिया से पीड़ित हैं तो करी के कुछ पत्तों को पीसकर छाछ के साथ पिएं।
करी पत्ते में मौजूद तत्व :
करी पत्ते का विश्लेषण करने से पता चला होता है कि इसमें आर्द्रता 8, प्रोटीन 6.1, वसा 2.0, रेशा 6.4 और कार्बोहाइड्रेट 18.7 प्रतिशत प्रति 100 ग्राम रहते हैं। इसमें खनिज और विटामिन पदार्थों में कैल्सियम 830, फॉस्फोरस 57, लौह 7.0, थायमिन 0.08, रिबोफ्लोविन 0.21, नायसिन 2.3, विटामिन ‘सी’ 4 और कैरोटीन 7,560 माइक्रो ग्राम रहता है। इसका कैलोरिक मूल्य 108 है।
करी पत्ते के अन्य औषधीय गुण :
करी पत्ते को सब्जी आदि में मिलाकर खाना चाहिए इससे पेट की पाचन क्रिया मजबूत बनी रहती है। यह हलका जुलाब देने वाला भी है।
पाचन तंत्र की अनियमितताएँ :
करी पत्ते का ताजा रस नींबू के रस और शक्कर के साथ मिलाकर लेने से यह मिचली और उलटी में, जो कि बदहजमी और आदि को ठीक करने में कामयाब है। ऐसी अवस्था में करी पत्ते का एक या दो चम्मच रस नींबू के रस के साथ मिलाकर लेना चाहिए।
करी पत्ते की नाजुक पत्तियाँ अतिसार, पेचिश में उपयोगी हैं। इन रोगों में इसे शहद के साथ मिलाकर लेना चाहिए। पित्त के कारण होने वाली उलटियों में भी करी पेड़ की छाल उपयोगी है। ऐसी अवस्था में सूखी छाल का चम्मच भर पाउडर या काढ़ा ठंडे पानी के साथ लेना चाहिए।
यदि आप शराब पीते है तो आपको उसे अवश्य छोड़ देना चाहिए, यदि आप ऐसा नहीं कर पा रहे है तो करी पत्ते का सेवन किसी ना किसी रूप में जरुर कीजिये क्योंकि यह लीवर पर शराब के साइड इफ़ेक्ट को कम करने में मदद करता है |
मधुमेह :
तीन महीने तक रोजाना सुबह ताजा दस करी पत्तियाँ खाने से उन व्यक्तियों में मधुमेह को रोका जा सकता है, जिनके माता-पिता में यह रोग हो। यह मोटापे के कारण होनेवाले मधुमेह को भी ठीक करता है। क्योंकि करी पत्ते में वजन कम करने के गुण होते हैं। जैसे ही वजन कम होने लगता है, मधुमेह के मरीज के पेशाब से शर्करा का जाना रुक जाता है।
आँखों की बिमारियों में :
करी पत्ते का ताजा रस लगाने से आँखें चमकीली होती हैं। इससे मोतियाबिंद को जल्दी पकने से भी रोका जा सकता है।
कीड़े के काटने पर :
कीड़े के काटने पर पेड़ का फल, जो कि बेरी होती है, खाने से फायदा होता है। यह जब कच्चा होता है तो हरा होता है और पक जाने पर बैंगनी हो जाता है।
गुरदे की बीमारी में :
करी पौधे की जड़ें भी औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं। इसकी जड़ के रस का उपयोग गुरदे के दर्द में राहत पहुँचाने में किया जा सकता है।
सूखा कफ, साइनसाइटिस और चेस्ट में जमाव है तो करी पत्ता बेहद असरदार उपाय हो सकता है। इसमें विटामिन सी और ए के साथ एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो जमे हुए बलगम को बाहर निकालने में मदद करते हैं। कफ से राहत पाने के लिए एक चम्मच करी पत्ता पाउडर को एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें। अब इस मिक्सचर को दिन में दो बार पिएं।
करी पत्ता लिवर को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाता हैं, जो हानिकारक तत्त्व जैसे मरकरी (जो मछली में पाया जाता है) और एल्कोहल की वजह से लिवर पर जम जाता है इसके साइड इफ़ेक्ट को दूर करने के लिए घी को गर्म करके उसमें एक कप करी पत्ते का जूस मिलाएं। इसके बाद थोड़ी सी चीनी और पिसी हुई काली मिर्च मिलाएं। अब इस मिक्सचर को कम तापमान में गर्म करके उबाल लें और उसे हल्का ठंडा करके पिएं।
करी पत्ते में आयरन और फोलिक एसिड उच्च मात्रा में होते हैं। एनीमिया शरीर में सिर्फ आयरन की कमी से नहीं होता, बल्कि जब आयरन को सोखने और उसे इस्तेमाल करने की शक्ति कम हो जाती है, तो इससे भी एनीमिया हो जाता है। इसके लिए शरीर में फोलिक एसिड की भी कमी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि फोलिक एसिड ही आयरन को अब्जॉर्ब करने में मदद करता है। अगर आप एनीमिया से पीड़ित हैं तो एक खजूर को दो करी पत्तों के साथ खाली पेट रोज सुबह खाएं। इससे शरीर में आयरन स्तर ऊंचा रहेगा और एनीमिया होने की संभावना भी कम होगी।
मासिक धर्म के दिनों में होने वाली परेशानी व दर्द से निजात पाने के लिए कढ़ी पत्ता काफी असरदार होता है। इसके लिए मीठे नीम या करी के पत्तों को सुखाकर इनका बारीक पाउडर तैयार कर लें। अब एक छोटा चम्मच इस मिक्सचर को गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। सुबह और शाम दिन में दो बार इसे लें। कढ़ी, दाल, पुलाव आदि के साथ करी पत्ते का नियमित सेवन बेहद फायदेमंद है।
करी पत्ता बालों के लिए :
करी पत्ते का निरंतर सेवन करना समय से पहले बाल सफेद होने को रोकने में उपयोगी है। इसमें बालों की जड़ों को ताकत और शक्ति देने के गुण हैं। उगनेवाले नए बाल सामान्य पिगमेंट सहित अधिक स्वस्थ रहते हैं। इसका उपयोग चटनी या छाछ अथवा लस्सी में मिलाकर किया जा सकता है। इसकी पत्तियों को नारियल के तेल में उबालकर लगाने से यह बालों के लिए अच्छे टॉनिक के रूप में कार्य करता है और बालों के उगने व बालों के पिगमेंट को वापस लाने के लिए मदद करता है। त्वचा में इंफेक्शन हो जाए तो उसे दूर करने में भी करी पत्ता में बहुत फायदेमंद होता है।