गांव की किस्मत बदलने के लिए जर्मनी से लोटे अपने गाँव !

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स्वदेश फिल्म तो देखी ही होगी जिसमें शाहरुख खान अपने गांव पहुंचते हैं और यही बस जाते हैं पर्दे की यह कहानी सच में उतर आई है बिजनौर के जू जिला गांव के निवासी तरुण शेखावत 4 साल से जर्मनी में नौकरी कर रहे थे पिछले दिनों में अपने गांव घूमने आए और यहां सुविधाओं की कमी देखकर उनका मन बदल गया । 3

8 साल के एक इंजीनियर ने विदेश में अच्छी नौकरी हासिल करने के बाद अपने गांव की हालत को ठीक करने के लिए लाखों की नौकरी छोड़ दी। जानकारी के मुताबिक, बिजनौर के जुझेला गांव के रहने वाले तरुण शेखावत ने पिछले 12 वर्षों में टेक महिंद्रा, टीसीएस और ऐसी ही कई बड़ी कंपनियों में बतौर इंजीनियर काम किया।

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हाल ही में अपने गांव आए तरुण ने देखा कि उनके गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। उन्होंने गांव को बेहतर बनाने के लिए क्यों कोई काम नहीं किया गया, यह जानने के लिए तरुण ने कई आरटीआई दायर कीं। उन्होंने पाया कि सरकार की ओर से जारी फंड में कई अनियमितताएं थीं। अपने गांव की किस्मत बदलने के लिए उन्होंने म्यूनिख (जर्मनी) में 4500 यूरो प्रति महीने (लगभग 37 लाख रुपए सालाना) की अपनी नौकरी छोड़ दी और अब वह गांव के आगामी प्रधानी के चुनाव में खड़े हो रहे हैं।

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तरुण अपने गांव में बहुत ही पॉप्युलर हैं। तरुण ने बताया कि अगर वह प्रधान बनते हैं तो सारे पैसे को ईमानदारी से अपने गांव की सूरत बदलने में लगाएंगे। उन्होंमे कहा कि उन्हें यकीन है कि गांववाले मुझे यह मौका देंगे और मैं उनके लिए वह सारे काम करूंगा, जिनकी मैंने योजना बनाऊंगा। गांव के एक निवासी नाजिर अंसारी का कहना है कि तरुण पूरे गांव में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे आदमी हैं। वह बदलाव लाने के लिए अपने गांव लौटे हैं। इसलिए वह चाहते है कि तरूण ही चुनाव जीतें।

साभार – पंजाब केसरी और राजस्थान पत्रिका

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