राजीव दीक्षित जी के कई दोस्त थे जो भारत छोड़कर अमेरिका और यूरोप में बस गए थे वो राजीव भाई के सामने अमरीका और यूरोप की बढाई करते हुए कहते थे कि “ओ राजीव भाई कितना अच्छा है अमरीका” राजीव भाई कहते थे क्या अच्छा है? वो कहते यहा होटल है यार, 10 हजार कमरे का होटल ! तो राजीव भाई कहते थे “भाई भारत में होटल की जरुरत नहीं है, इसलिये नहीं होता, हमें धर्मशाला की जरुरत है तो हमारे यहा हजारों धर्मशाला है, एक एक शहर में 100-100 हो सकती है, उनको होटल की जरुरत है तो वो बनाते है.
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आपको मालूम है होटल की हिस्ट्री क्या है, ये जो यूरोप में 10 हजार कमरे के 20 हजार कमरे के होटल है ये क्यों बनाए गए है, वास्तविकता ये है कि सेक्स रिलेशन। कही भी किसी के साथ भी जाओ, कोई लिमिटेशन नहीं है, तो अगर किसी के साथ कही भी जाओ और घर आपके पास नहीं है तो उनको होटल में ही जाना पड़ेगा। आपको एक सत्य बता दू यूरोप में 85% पापुलेशन के पास अपना घर नहीं है, जी हा 85% लोग जिंदगी भर अपना घर नहीं खरीद पाते। मात्र 5% लोगो के पास अपना घर होता है। और 15% लोग ऐसे है जो किराये के घर में रह सकते है और जीवन के अंतिम दिनों में खरीद पाते है बाकि 85% के लिये तो अपना घर लेना एक सपना है, वो किराये के घर में ही पैदा होते है और किराये के घर में ही मर जाते है।
यूरोप की मैक्सिमम पापुलेशन जो किराये के घर में रहती है वो सब फ्लैट्स कहलाते है। लेकिन जो मालिक है वो तो बंगलो में रहता है और अपने किरायेदारो को फ्लैट्स में रखेगा। तो मालिक की मान्यता ये है कि किरायेदार तो निचा है उसको उतना स्पेस नहीं मिलना चाहिए जितना बंगलो में मुझे मिला है इसलिये फ्लैट छोटे और बंगले बड़े बनाए जाते है। अपने दिल्ली जैसे शहरो में देखा ही होगा किसी भी फ्लैट में ओपन स्पेस नहीं होता। और बहुत छोटे एरिया में होता है। अब यूरोप की मुस्किल ये है कि रहने के लिये लोग ज्यादा है जगह कम है । सबसे कम per square फीट एरिया में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा युरोप में ही है। अगर भारत का Per square फीट एरिया आप निकाले और यूरोप का निकाले तो आप पाएंगे कि यूरोप में भारत से 10 गुना ज्यादा लोग रहते है। कारण ये है कि यूरोप के पास Horizontal Expansion के लिये ज़मीन ही नहीं है। यूरोप में इतने छोटे छोटे देश है जितना कि हमारा एक जिला। कोटा और बूंदी को मिला दो तो फ़्रांस के बराबर है। और कोटा, जयपुर और बूंदी इकठा कर दो तो जर्मनी के बराबर है। यूरोप में राजीव भाई जब भी गए तो उन्होंने देखा कि 2-3 घंटे की कार ड्राइव में देश की सीमा ख़तम जहो जाती है, और अपने देश में एक जिला पार नहीं होता।
तो मै कहना ये चाहता हु कि per square फीट एरिया में भारत में सबसे कम लोग है और यूरोप में सबसे ज्यादा है। तो एक फ्लैट में ज्यादा लोग वहा पर रहते है। अब उन लोगो को कुछ ऐसे संबंध रखने है जो अवेधानिक होते है तो उनको निभाने के लिये तो होटल ही चाहिए एसलिये वो होटल बनाते है। और वो 10000 हजार कमरे का होटल इस लिये बनाते है क्योकि हर Friday शाम को छुट्टी होती है, Saturday पूरा छुट्टी Sunday पूरा छुट्टी। तो 3 दिन वो होटल में ही पड़े पड़े ही मजा मानते है घर में कोई नहीं रहता, ये है उनके होटल की हेसियत। वो 10 हजार कमरे का बनाए या 20 हजार कमरे का इसमे कौन बड़ी बात है । होटल बनाना उनकी मज़बूरी है नहीं बनायेंगे तो उनका समाज पागल हो जायेगा, लोग सीजोफ्रामियां से मर जायेंगे। इसलिये वो होटल बनाते है हमको उनकी जरुरत नहीं है एसलिये हम होटल नहीं बनाते। हम तो धर्मशाला बनाते है क्योकि हमें उसकी जरुरत है। तो जब भी आप उनके साथ अपनी तुलने करे तो थोडा ध्यान से करे।