गोरखपुर… पूत के पाँव पालने में ही दिखाई देने पड़ते है इस कहावत को चरितार्थ कर अपने प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले विकास नाम के सोलह वर्षीय किशोर ने संत कबीर नगर जिले में रहकर एक ऐसी भूकम्प सूचक मशीन का अविष्कार कर सबको चौका डाला है जिसकी सहायता से देश के तीस राज्यो सहित पड़ोसी मुल्क नेपाल में आने वाले भूकम्प की सूचना ठीक आधे घण्टे पहले दे दिया करेगी । गोरखपुर जिले के सहजनवां क्षेत्र के तिलौरा गाँव के रहने वाले 16 वर्षीय दलित किशोर ने जब अपने गाँव में रहकर अपने आविष्कार को मूर्त रूप देने का प्रयास किया तो वहाँ के लोगो ने उसका मजाक भी उड़ाया लेकिन धुन के पक्के विकास ने इस आविष्कार को पूरा करने की ठान संत कबीर नगर जिले के बड़गो गाँव अपने ननिहाल चला आया जहाँ साल भर पहले ही उसने एक ऐसे यन्त्र का निर्माण करने में सफलता हासिल की जिसके सहारे भूकम्प के आहट की सूचना ठीक आधे घण्टे मिल जाया करती है। मशीन के सफल होने का दावा करते हुए विकास ने वर्ष 2015 में 24 और 25 अप्रैल को इसका सफल परीक्षण भी कर डाला।
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ताँबा ऐलुमिनियम कॉपर आदि की सहायता से तैयार इस भूकंप सूचक यन्त्र की लागत महज दस हजार रुपया जो बड़ी मुश्किल से विकास ने जुटाकर इस मशीन का इज़ाद किया, चुम्बकीय बल के प्रयोग से भूकम्प की स्थिति और सही दिशा का पता मशीन में लगी सुई और काँच के टुकड़े करते है, जो भूकम्प आने के ठीक पहले काँच टूट जाते है और सुई उस दिशा में जाकर गिरती है जिस दिशा में भूकम्प आना होता है। बिजली की सहायता से चलने वाले इस मशीन के निर्माण के बाद विकास ने भूकम्प जैसी आपदा आने से पहले लोगो को सचेत करने वाली मशीन को जब और अधिक विकसित करना चाहा तो आर्थिक मुसीबते उसके सामने मुँह बाए खड़ी मिली, विकास को दरकार है सरकारी सहायता की जो अभी तक उसे मिली नही,सीमित संसाधनों से तैयार इस भूकम्प सूचक
यन्त्र को सौर ऊर्जा से संचालित करने एवम् 10 किलोमीटर तक की रेंज में भूकंप आने से पहले सायरन की आवाज पैदा करने के लिए इस मशीन के निर्माण में और अधिक लागत की आवश्यकता है
जो गरीब विकास के बुते की बात नही जिसके लिए उसने सरकार से मदद की गुहार लगाई है। विकास के द्वारा तैयार किये गए भूकंप सूचक यन्त्र की विशेषता को भौतिक विज्ञान के एक्सपर्ट जिले के एच आर इंटर कालेज के प्रवक्ता संत त्रिपाठी ने भी सराहा है।
जिले में तैयार इस अदभुद मशीन की सूचना पर डी एम डाक्टर सरोज कुमार भी गदगद है जो खुद चलकर मशीन को देखने और मासूम आविष्कार विकास से मिलने की बात कहकर उसे हर सम्भव आर्थिक सहायता दिलवाने और विकास के द्वारा तैयार किये गए यंत्र को राष्ट्रीय पहचान दिलाने की बात कही है।