भारत की आजादी से जुड़ी 7 अनकही रोचक बातें ! जो ना कभी पढ़ी होगी ना सुनी होगी

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15 अगस्त का दिन भारत के लिए अविस्मरणीय है। इसी दिन भारत ने मध्यकालीन और ब्रिटिश गुलामी की जंजीरें तोड़ एक नए युग में कदम रखा था। लेकिन आप में से बहुत कम लोग होंगे जो इस दिन से जुड़ी भारत की कई यादों के बारे में जानते होंगे। आइए देखें कि भारत की आजादी से जुड़े वो रोचक तथ्य जिसके बारे में अब तक आप अनजान थे…

भारत से पहले पाकिस्तान का जन्म

भारत के अंतिम वायसराय लाउड माउंडवेंटन ही वो व्यक्ति थे जिन्होंने भारत और पाकिस्तान की आजादी  का दिन चुना। माउंडवेंटन भारत आए थे तो उन्हें भारत और पाकिस्तान अविभाजित मिला था। ऐसे में किसी भी विवाद को जन्म देने से बचने के लिए वायसराय ने 14 अगस्त को पाक को आजादी दी और लाहौर को उसकी राजधानी घोषित कर दी।

भारत की आज़ादी के लिए 15 अगस्‍त का ही दिन क्‍यों?

यह लार्ड माउंटबेटन ही थे जिन्‍होंने निजी तौर पर भारत की स्‍वतंत्रता के लिए 15 अगस्‍त का दिन तय किया क्‍योंकि इस दिन को वे अपने कार्यकाल के लिए बेहद सौभाग्‍यशाली मानते थे। इसके पीछे खास वजह थी। असल में दूसरे विश्‍व युद्ध के दौरान 1945 में 15 अगस्‍त के ही दिन जापान की सेना ने उनकी अगुवाई में ब्रिटेन के सामने आत्‍मसमर्पण कर दिया था। माउंटबेटन उस समय संबद्ध सेनाओं के कमांडर थे। इसके आलावा जब लार्ड माउन्ट बैटन इस देश को आज़ाद करने की बात कर रहा था, तो इस देश के बहुत सारे ज्योतिषी थे, पुराने दस्तावेज़ राजीव भाई ने बहुत इकट्ठे किये है और उनको जब राजीव भाई देख रहे थे तो १९४५ से इस देश में बहुत सारे ज्योतिषियो ने भविष्यवाणी करना शुरु किया, और सारे ज्योतिषी इस बात से सहमत थे कि १५ अगस्त १९४७ की रात को आज़ादी न ली जाये, वो दिन अच्छा नहीं है, अगर इस दिन आजादी ली तो ये देश नहीं बचेगा टुकडो में टूटेगा ओर वही हुआ पहले पाकिस्तान ओर फिर बांग्लादेश ओर अब भी बहुत से राज्य में अलग होने के आन्दोलन चल रहे है जैसे पंजाब, नागालैंड, जम्मू ओर कश्मीर आदि| ज्योतिष के  अपने कुछ कैलकुलेशन्स होंगे, इस देश में ज्योतिष का शास्त्र है, ज्योतिष का विज्ञान है और बहुत विकसित विज्ञान है, और इस देश के उस ज़माने के सारे बड़े ज्योतिष शास्त्री कह रहे थे कि १५ अगस्त १९४७ की रात को आज़ादी मत लीजिए, पंडित नेहरु से मना किया था, सरदार पटेल से मना किया था. लेकिन ये सत्ता के मोह में इतने अंधे थे कि जो कुछ अंग्रेज कह रहे है वो ही माना |

सारी जानकारी लिख पाना असंभव है ये विडियो देखिए >>

ट्रिस्ट विद डेस्टनी’

जवाहर लाल नेहरू ने ऐतिहासिक भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टनी’ 14 अगस्त की मध्यरात्रि को वायसराय लॉज से दिया था। तब नेहरू प्रधानमंत्री नहीं बने थे। इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना, लेकिन गांधी उस दिन नौ बजे सोने चले गए थे।

बिना राष्ट्रगान के जश्न

भारत 15 अगस्त को आज़ाद जरूर हो गया, लेकिन उसका अपना कोई राष्ट्र गान नहीं था। रवींद्रनाथ टैगोर जन-गण-मन 1911 में ही लिख चुके थे, लेकिन यह राष्ट्रगान 1950 में ही बन पाया। ये राष्ट्र गान भी भारत की गुलामी का प्रतिक है जो आप निचे विडियो में देख सकते है … भारत का गीत तो वन्दे मातरम है..

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गांधी जी नहीं हुए शामिल

महात्मा गांधी आज़ादी के दिन दिल्ली से हज़ारों किलोमीटर दूर बंगाल नोआखली में थे, जहां वे हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन पर थे।

लाल किले पर नहीं पहराया गया था झंडा

हर स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय प्रधानमंत्री लालकिले से झंडा फहराते हैं। लेकिन 15 अगस्त, 1947 को ऐसा नहीं हुआ था। नेहरू ने 16 अगस्त, 1947 को लालकिले से झंडा फहराया था।

तीन देशों की आजादी

15 अगस्त भारत के अलावा तीन अन्य देशों का भी स्वतंत्रता दिवस है। दक्षिण कोरिया जापान से 15 अगस्त, 1945 को आज़ाद हुआ। ब्रिटेन से बहरीन 15 अगस्त, 1971 को और फ्रांस से कांगो 15 अगस्त, 1960 को आज़ाद हुआ।

इस विडियो में देखिए भारत की आजादी का असली इतिहास >>

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