27 साल की वल्लरी चंद्राकर कम्प्यूटर साइंस से एमटेक हैं। कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर रह चुकी हैं। लेकिन अब वे जॉब छोड़कर 27 एकड़ जमीन पर खेती कर रही हैं। वल्लरी अपने खेत की सब्जियां दुबई और इजरायल को एक्सपोर्ट करने की तैयारी कर रही हैं। शुरुआत में लोग कहते थे पढ़ी-लिखी बेवकूफ…
रायपुर से 88 किमी दूर बागबाहरा के सिर्री गांव की रहने वाली वल्लरी ने खेती की शुरुआत 2016 में की थी। उन्होंने खेती में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से मार्केट में जगह बनाई। वल्लरी के मुताबिक, “मैं नौकरी छोड़ खेती करने लगी तो लोगों ने मुझे पढ़ी-लिखी बेवकूफ कहा। घर में तीन पीढ़ी से किसी ने खेती नहीं की थी। किसान, बाजार और मंडीवालों से डील करना शुरू में बहुत मुश्किल होता था।” पापा ने ये जमीन फार्म हाउस बनाने के इरादे से खरीदी थी। मुझे यहां खेती में फायदा नजर आया तो नौकरी छोड़कर आ गई। शुरू में लोग लड़की समझकर मेरी बात को सीरियसली नहीं लेते थे।
वल्लरी की सब्जियां दिल्ली, भोपाल, इंदौर, ओडिशा, नागपुर, बेंगलुरु तक जाती हैं। उनके खेत में अब तक करेला, खीरा, बरबटी, हरी मिर्च की खेती होती थी। लेकिन इस बार उन्हें टमाटर और लौकी का ऑर्डर मिला है। इनकी नई फसल 60-75 दिन में आएगी, जिसे दुबई और इजरायल तक एक्सपोर्ट करने की तैयारी है।
छत्तीसगढ़ी भी सीखी – वल्लरी बताती हैं, “खेत में काम करने वालों के साथ बेहतर कम्युनिकेशन के लिए मैंने छत्तीसगढ़ी सीखी। खेती की नई टेक्नोलॉजी इंटरनेट से सीखी। देखा कि इजरायल, दुबई और थाईलैंड में किस तरह खेती होती है। मेरी सब्जियों की अच्छी क्वालिटी देखकर धीरे-धीरे खरीददार मिलने लगे।”
इस विडियो में देखिए, उन्ही की जुबानी >>
जॉब छोड़कर खेती कर रही हैं ये लड़की, दुबई तक जाएंगी इनकी सब्जियां
जॉब छोड़कर खेती कर रही हैं ये लड़की, दुबई तक जाएंगी इनकी सब्जियां https://goo.gl/vV7QzU
Gepostet von News18 Madhya Pradesh am Freitag, 27. Oktober 2017
खेत ही बन जाते हैं लड़कियों का क्लासरूम – शाम पांच बजे खेत में काम बंद हो जाता है। इसके बाद वल्लरी गांव की 40 लड़कियों को रोज दो घंटे अंग्रेजी और कम्प्यूटर पढ़ाती हैं, ताकि वे सेल्फ डिपेंडेंट बन सकें। खेत में काम करने वाले किसानों के लिए वर्कशॉप आॅर्गनाइज करती हैं, जिसमें उन्हें खेती के नए तरीकों के बारे में बताया जाता है।
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