विदेशो में जमा काला धन वापिस लाने के 4 रास्ते – इतना शेयर करो कि हर भारतीय तक पहुचे

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दोस्तों भाई राजीव दीक्षित जी ने भारत स्वाभिमान ट्रस्ट बनाने के कुछ समय बाद सन 2014 का इलेक्शन लड़ने का ऐलान कर दिया था, वो चाहते थे जो नेताओ ने लूट का काला धन विदेशी बैंको में जमा किया हुआ है उसको वापिस लाकर उससे देश का विकास करना है 2009 में सुप्रीम कोर्ट के सामने आंकड़ो के अनुसार भारत में नेताओ का 258 लाख करोड़ रूपये विदेशी बैंको में जमा है कोई मामूली रकम नहीं है. आप कहेगे ये कैसे आयेगा ?? इसको वापिस लाने के राजीव भाई ने चार तरीके बताये है जो उन्होंने लगातार 12 साल विदेशी बैंक के संपर्क में रहकर निकाले थे, पहले आप अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग व्यवस्था के एक नियम को जान ले, वो नियम ये है कि अंतर्राष्ट्रीय बैंक में किसी भी व्यक्ति की निजी सम्पति (Personal assets) जमा हो सकती है किस भी देश की राष्ट्रीय सम्पति (National Assets) नहीं, |

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ये सब काला धन विदेशी बैंको में निजी सम्पति के रूप में जमा है अगर हम इसको राष्ट्र की सम्पति घोषित करवा दे तो ये किसी बैंक में जमा नहीं हो सकता इसको बैंक को उस देश को देना पड़ेगा क्योकि किसी भी देश की राष्ट्रीय सम्पति उसी देश में जमा होती है वो जिस देश की होती है दुसरे देश में जमा नहीं हो सकती | अब जो जमा है वो निजी यानि व्यक्तिगत सम्पति है अगर वो राष्ट्रिय सम्पति घोषित हो जाए तो वो देश में वापिस आ जायेगा, तो आप कहेगे ये काम कौन करेगा | इसके लिये दो संस्थाये हमारे पास है एक है सुप्रीम कोर्ट और दूसरी है संसद |

सुप्रीम कोर्ट की एक ताकत है वो किसी भी सम्पति  को राष्ट्र की सम्पति घोषित कर सकता है उसने एक बार ऐसा किया भी था  यूरिया घोटाला हुआ जब नर्सिमा राव के ज़माने में तो 133 करोड़ रुपया चला गया था देश के बहार, तो सुप्रीम कोर्ट ने उसको राष्ट्र की सम्पति घोषित कर दिया था और वो 133 करोड़ रुपया स्वीस बैंक से वापिस देश में आ गया था, और वो देश के प्रधानमत्री नर्सिमा राव के बेटे के खाते में जमा था और सुप्रीम कोर्ट ने उसको जेल भेज दिया था | राजीव भाई हमेसा कहते थे कि प्रधानमत्री के बेटे को जब जेल भेजा था वो भुला नहीं हू, सुप्रीम कोर्ट में इतनी ताकत है

राजीव दीक्षित जी ने 2009 में सुप्रीम कोर्ट में मुदकमा किया था और मुकदमा ये था कि अगर यूरिया घोटाले का पैसा राष्ट्र की सम्पति है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्र की सम्पति घोषित किया था तो चारा घोटाले का पैसा भी राष्ट्र की सम्पति है, बोफोर्स घोटाले का पैसा भी राष्ट्र की सम्पति है सभी घोटालो का पैसा राष्ट्र की सम्पति है और अगर इस तर्क से सुप्रीम कोर्ट सहमत हो जाती है तो वो विदेशी बैंको में जमा 258 लाख करोड़ रूपये को राष्ट्र की सम्पति घोषित कर सकता है और ये घोषणा होते ही इस मुक़दमे का फैसला लेकर राजीव भाई दीक्षित international Court of Justice में जाते और ICJ आर्डर होते ही दुनिया के 70 देशो के बैंको को सारा पैसा भारत को देना पड़ता| 6 महीने तो राजीव भाई ये मुकदमा सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार ही नहीं किया कोर्ट में बहस होती रही 6 महीने बहस के पश्चात सुप्रीम कोर्ट ने मुक़दमे को स्वीकार किया और कहा कि अब इस मुक़दमे को सुना जायेगा | सुप्रीम कोर्ट ने राजीव भाई की बात पर विश्वास नहीं किया और अपने आपको convince करने के लिये सब और से जानकारी  मंगवाई, एक अन्तराष्ट्रीय संस्था है जिसका नाम है transparency International उनको बुलाया उन्होंने कोर्ट में सभी दस्तावेज पेश किये और कोर्ट को बताया कि भारत का कितना काला धन विदेशो में जमा है, फिर एक अन्तराष्ट्रीय संस्था को और बुलाया जिसका नाम था Tax Justice Network उन्होंने भी कोर्ट में आकार सभी दस्तावेज कोर्ट को दिए, उसके बाद भारत सरकार के बड़े अधिकारीयों को बुलाया, enforcement Directorate को बुलाया और पूछा कि क्या आपको पता है भारत का के लोगो के विदेशी बैंको में खाते है उसके बाद #CBI वालो को बुलाया | जब सब तरफ से कोर्ट convince हुआ तो कोर्ट ने मुकदमा सवीकार किया | उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस दिया है कि ये पैसा किस किसका है जल्दी से जल्दी कोर्ट को बताया जाए | तब सरकार की हालत ख़राब हो गई थी क्योकि जिनका पैसा है वही सरकार चला रहे थे अब भी चला रहे है तो सरकार ने कोर्ट में टालमटोल करना शुरू कर दिया था, राजीव भाई को ये पता था कि ये टालमटोल सरकार कुछ दिन ही करने वाली है क्योकि वो कभी भी नहीं बताएँगे| तो राजीव भाई सुप्रीम कोर्ट में ये बात कहते कि बहुत हो गया ताल मटोल 1 साल, 2 साल, 3 साल, 5 साल अब आप तो एक्स- पार्टी जजमेंट दे दो और कोर्ट को ये करने की ताकत है अगर सरकार ये नहीं बता रही कि किसका पैसा है तो आप ये बोल दो कि जिसका भी पैसा है भारत की राष्ट्रिय सम्पति है बात ख़तम | और राजीव भाई को उमीद थी कि कोर्ट ये फैलसा देगा

दूसरा रास्ता है अपने पास वो ये कि राजीव भाई अगले कुछ वर्षो में संसद में एक प्रस्ताव पारित करवाना चाहते थे कि 15 अगस्त 1947 के बाद जितना भी धन हवाला के माध्यम से भारत से बाहर गया वो भारत की राष्ट्रीय सम्पति है सब काला धन हवाला से ही दुसरे देश के बैंको में जाता है | अब इस प्रस्ताव को रखेगा तो कोई एक संसद ही | राजीव भाई कहते थे कि वो तो हमें मिल ही जायेगा चार सालो में ये तो नहीं है कि सब के सब मर गए | और अगर संसद में ये प्रस्ताव रखा जाता है तो इसपर बहस होगी और बहस वाले दिन पूरा देश देखेगा कि कौन-कौन हरामी और बइमान इसका विरोध कर रहा है जो विरोध कर रहा है पैसा उसी का है और अगर विरोध ना हुआ तो बिल पास हो जायेगा और  अगर प्रस्ताव पास होता है तो कानून बनेगा और कानून बनते ही पैसा देश में आयेगा| राजीव भाई गाँव गाँव शहर शहर लोगो से यही कहते थे कि आप अपने सांसद पर नजर रखना कि वो इस प्रस्ताव पर क्या कहता है जो काला धन वापिस लाना ही नहीं चाहते, जो गरीबी मिटने देना ही नहीं चाहते, जो देश का विकास ही नहीं चाहते |

इसके आलावा तीसरा रास्ता ये है कि सरकार इन 258  लाख करोड़ रूपये का ब्यौरा लेकर international Court of Justice में जाए और दुनिया के 70 देशो के खिलाफ प्रतिबंद लगवा दे, अमेरिका ने हाल ही में ऐसा किया था| क्या आपको पता होना अमरीका में भी भ्रष्टाचार है, वहा के लूटखोर नेताओ के भी विदेशी बैंको में खाते थे | बैराक ओबामा ने वो सब एक झटके में ठीक कर दिया था उसने सबसे पहले अपने देश में कानून बनवाया और कानून की मदद से अपने देश का 780  अरब डॉलर स्विस बैंक से वापिस ले आया और अपने देश के 19,780 खाते बंद करवाए| और उसने वो सारा पैसा अपनी इंडस्ट्री में लगा दिया | जब ये अमेरिका कर सकता है तो भारत भी कर सकता है बस अन्तर इतना है कि अमेरिका को बैराक ओबामा मिल गया है भारत को अभी तक नहीं मिला है

उस वक़्त जब प्रधानमत्री मनमोहन सिंह अमेरिका गए थे तो ओबामा ने मनमोहन सिंह को कहा था कि देखो मैंने स्विस बैंको से अपने पैसे निकाल लिए है आपको भी निकलवाने है क्या, मै आपकी हर तरह से मदद करूँगा, ये सुनते ही मनमोहन सिंह की ऊपर की साँस ऊपर और नीचे की नीचे, न ना कहा न हाँ कहा | फिर ओबामा ने कहा मै भारत की सेरियसली मदद करना चाहता हूँ और आपको बताना चाहता हूँ कि मैंने कैसे पैसा निकाला आप भी ऐसे ही निकाल सकते है इसके बाद मनमोहन सिंह ऐसे ही वापिस लौट आये क्योकि उनको बोलते ही नहीं बनता क्योकि सरकार चलाने वालो का पैसा है, ओबामा तो तैयार है मदद के लिये और ओबामा कहता है कि मै भारत की मदद इस लिये करना चाहता हूँ क्योकि भारत महान देश है, जब वो भारत की महानता गिनाता है तो सबसे पहले कहता है भारत बजरंग बलि का देश है | ओबामा हनुमान जी का भगत है उसने मंदिर बनवाया था, जयपुर से मूर्ति मंगवाकर  स्थापित करवाई थी, आधा मुस्लमान और आधा इसाई ओबामा हनुमान जी की पूजा कर रहा है और अमेरिका का पहला राष्ट्रपति है जिसने दिवाली मनाई थी, पंडित जी को बुलाया उसने |

राजीव भाई को विश्वास था कि एक दिन भारत को भी एक बैराक ओबामा मिलेगा क्योकि भारत माता वीर वहीन नहीं है, निपुती नहीं है, भांज नहीं है जब जरुरत पड़ती है इस माता ने बड़े बड़े लाल पैदा किये है देश की समस्याओ का हल करने के लिये |

आखिरी और चौथा रास्ता ये है कि अगर भारत सरकार चाहे तो खुद दादागिरी करके स्विजरलैंड से ये पैसा ला सकती है उनके पास ना आर्मी है, ना पुलिस है, ना एयर फार्स है, ना नेवी फौर्स है छोटा सा देश है जनसँख्या भी इतनी है कि जितनी भारत के एक जिले में है | इतना छोटा देश है कि अगर दो घंटे गाड़ी चलाओ तो सीमा ख़तम हो जाती है दुसरे देश में कार घुस जाती है अगर उनसे थोड़ी दादागिरी करेंगे तो वो पैसा दे देंगे, अमेरिका ने भी कहा था उनको कि इराक का ध्यान है, अफगानिस्तान का ध्यान है वो आपका भी हाल हो सकता है | तुरंत उन्होंने पैसे निकाल कर दे दिए |

राजीव भाई ये कहते थे कि अपने पास चार रास्ते है पहले हमको पहले तीन रास्तो पर चलना चाहिए और कानून से वो पैसा लाना चाहिए उसके बाद चौथा रस्ता अपनाना चाहिए और क्योकि वो गलत कानून के कारण ही पैसा बहार गया है कानून को सही करके वो पैसा लायेंगे और भविष्य में ये पैसा बहार ना जाए इसकी पक्की व्यवस्था करेंगे

नोट : इस केस के दौरान ही राजीव भाई की हत्या हो गई थी

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