अगर स्वस्थ रहना है तो खाने को पचाने वाले इन्जाइम के इस खेल को समझिए, कभी बीमार नहीं होंगे

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नमस्कार दोस्तों, एक बार फिर से आपका हमारी वेबसाइट में बहुत बहुत स्वागत है. यहाँ आपको राजीव जी द्वारा बताई गयी हर प्रकार की औषधियां एवं घरेलू नुस्खे प्राप्त होंगे. तो दोस्तों आज की हमारी चर्चा का विषय है  खाना खाने के बाद पानी के इलावा क्या पीया जाए.

तो जैसा की हम सबने पिछले आर्टिकल में पढ़ा होगा की खाने को पचने के लिए जरूरी है कि हम खाने से 48 मिनट पहले पानी पीये या फिर खाने के डेढ़ घंटे बाद पानी पीये. क्योंकि हम ऐसा नही करेंगे तो हमारे अमाशय में अग्नि जलनी बंद हो जाएगी और खाना सड़ कर विश बन जायेगा और जिससे हम मौत के मुंह तक पहुँच सकते है. तो आज हम बात करने वालें है कि खाने के बाद पानी के इलावा हम दूसरी क्या क्या चीज़ें पी सकते हैं. तो चलिए जानते है:

आयुर्वेद के अनुसार अगर आप खाने के तुरंत बाद कुछ लेना ही चाहते है तो आप जूस ले सकते हैं. किसी भी फल का रस आप ले सकते हैं. इसके इलावा आप खाने के तुरंत बाद लस्सी पी सकते हैं. और आप चाहे तो खाने के बाद दूध भी पी सकते हैं. आयुर्वेद में हर चीज़ के खाने का एक टाइम है. बिना टाइम कुछ भी खाना अनिवार्य है. जब भी जूस पीना है तो वो सवेरे ही पी सकते हैं. यानी की नाश्ते के बाद. क्यों कि फल को पचाने वाले एंजाइम हमारे शरीर में सुबह ही बनते हैं. और ये सुबह-सुबह पीया गया जूस आपका फटा फट डाइजेस्ट हो जायेगा. और अगर यही जूस आप रात को पियेंगे तो ये फ्लश आउट हो जायेगा.

दोपहर के समय लस्सी पीना सबसे उत्तम रहता है. क्यों की दोपहर के समय पेट में जो एन्ज्य्म होते है, वो दही और लस्सी को डाइजेस्ट करवाते है. दही और दही की कोई भी चीज़ खाना दोपहर को ही अच्छा है. अगर दही खाना है तो केवल दोपहर को खाये क्यों कि सुबह का खाया हुआ दही 40 से ज्यादा आयु के व्यक्ति को नुक्सान पहुंचा सकता है.

और अगर दूध पीना है तो सूर्यास्त के बाद पीजिये. क्योंकी सूर्यास्त के बाद ही पेट में दूध के एंजाइम बन जाते है.जिससे वो हमारे लिए लाभकारी सिद्ध होता है. ज्यादातर माताएं अपने बच्चे को दूध पिला कर ही स्कूल भेजती है यह जितनी माता है अपने बच्चों को स्कूल भेज रही है दूध पिलाकर इन सब से मेरी प्रार्थना है उनको जूस पिलाकर भेजें इसलिए नहीं कि उनके शरीर में इच्छा नहीं होगी क्योंकि एंजाइम्स नहीं है आप जबरदस्ती पिलाते हैं सवेरे के समय किसी भी बच्चे की दूध पीने की इच्छा नहीं होती आप मार के पीटकर जबरदस्ती अपना फोर्स दिखाकर दूध पिला देते हैं लेकिन इच्छा नहीं होती इच्छा क्यों नहीं होती क्योंकि सवेरे दूध को पचाने वाले पेट में एंजाइम नहीं होते इसलिए इच्छा भी नहीं होती है तो वह सही है इच्छा नहीं होती उसकी तो आप उसकी इच्छा का सम्मान करिए उसको सवेरे जूस पिलाना शुरू कर दीजिए जूस नहीं पी सकता है तो फल खिलाना शुरू कर दीजिए सवेरे का समय आप फल और जूस के लिए फिक्स कर दें दोपहर को जब वह स्कूल से लौटते हैं तो दही का समय फिक्स कर दीजिए दही खिलाइए लस्सी खिलाइए मट्ठा पिलाइए और दूध का समय शाम का फिक्स कर दीजिए.

अब इसमें कुछ एक्सेप्शन है मैंने आपको कहा नाहर नियम में कुछ एक्सेप्शन होते हैं इसमें पहला एक्सेप्शन यह है कि जो बच्चे मां के दूध पर निर्भर हैं लगभग 2 से ढाई साल की उम्र तक कोई बच्चे 3 साल की उम्र तक मां के दूध पर निर्भर होते हैं उनके ऊपर यह नियम लागू नहीं होता वाग्भट्ट जी ने आगे इसी नियम को एक्सप्लेन किया है और कहते हैं कि जो बच्चे पूरी तरह से मां के दूध पर निर्भर है उन बच्चों पर यह नियम लागू नहीं होता मां के दूध पर निर्भर बच्चों को तो जब भूख लगेगी उनको दूध पीना है क्योंकि उनके शरीर में 3 साल तक तो दूध वाले एंजाइम है दही वाले एंजाइम तो 3 साल के बाद बनना शुरू होता है दाल भात सब्जी इन सब को पचाने वाले एंजाइम बच्चों में डेढ़ 2 साल के बाद ही शुरू हो जाते हैं उसके पहले तो सिर्फ दूध और दूध के ही एंजाइम होते हैं पचाने के लिए तो जो बच्चे मां के दूध पर निर्भर हैं उनको छोड़कर सभी के ऊपर यह नियम लागू होगा

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