सेहत के लिए कितना हानिकारक है रिफायंड तेल, क्योकि इसे बनाने में होते है हानिकारक रसायन यूज़

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रिफाइंड तेल का उपयोग खाना बनाने के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है. लेकिन आप शायद नहीं जानते कि ये सेहत के लिए कितना हानिकारक है और वो इसलिए क्योंकि असल में refined oil को तैयार करते समय कई तरह के रसायनों का बड़ी मात्रा में उपयोग किया जाता है, जैसे कास्टिक सोड़ा, फोसफेरिक एसीड, ब्लीचिंग क्लेंज आदि मिलाए जाते है, ताकि निर्माता हानिकारक व खराब बीजों से भी तेल निकाले तो उपभोक्ता को उसको पता न चले.इसलिए यह एक तरह से ये धीमे जहर की तरह काम करते है और धीरे धीरे शरीर की कार्यप्रणाली पर असर करता है, तो चलिए refined oil के कुछ और कुप्रभावों को भी हम जानते है.

शोध के अनुसार तेल को 200 डिग्री से 225 डिग्री पर आधे घंटे तक गर्म करने से उसमें एच एन ई नामक बहुत ही टोक्सिक पदार्थबनता है.  यह लिनोलिक एसिड के ऑक्सीकरण से बनता है और उत्तकों में प्रोटीन और अन्य आवश्यक तत्वोंको क्षति पहुँचाता है. यह ऐथेरास्क्लिरोसिस, स्ट्रोक, पार्किसन, एल्जाइमर रोग, यकृत रोग आदि का जनक माना जाता है.

संतृप्त वसाको गर्म करने पर ऑक्सीकृत नहीं होते हैं, और इसलिए गर्म करने पर उनमें एच एन ई भी नहीं बनते हैं, इसलिए घी, मक्खन और नारियल का तेल कई दशकों से मानव स्वास्थ्य को रोगग्रस्त करने की बदनामी झेलने के बाद आज कल पुनः आहार शास्त्रियों के चेहते बने हुए हैं.

अब तो मुख्य धारा के बड़े-बड़े चिकित्सक भी स्वीकार कर चुकें हैं कि शरीर में ओमेगा 3 और ओमेगा 6 का अनुपात सामान्य (1:1 या 1:2) रखना आवश्यक है.
गृहणियोंको खाना बनाने के लिए रिफाइंड तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए. कच्ची घाणी से निकला तेल ही अच्छा माना जाता है. हमें कच्ची घाणी से निकला नारियल तेल, सरसों या तिल का तेलकाम में लेना चाहिए. ये तेल स्वास्थ्य के लिए हानिकारकनहीं होते है. जैतून का तेल भी बढि़या होता है जो हमारे यहाँ बहुत मंहगा मिलता है और मूंगफली का तेल अच्छा माना जाता है.

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