एक सप्ताह में सात दिन होते हैं और इन सातों दिनों का अपना अलग–अलग महत्व होता हैं. इन सातों दिनों से जुडी हुई हमारी कोई न कोई विशेष परम्परा और मान्यताएं होती हैं. जिनका उल्लेख हमारे ऋषि–मुनियों ने तो किया ही हैं साथ ही साथ इनकी चर्चा हमारे प्राचीन वेदों में तथा ज्योतिष शास्त्रों में भी की गई हैं. हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार सप्ताह के प्रत्येक दिन को किसी न किसी विशेष ग्रह का प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता हैं. जिसके अनुसार ही हमें विभिन्न कार्य करने चाहिए या नहीं करने चाहिए.
क्या कहती है वैदिक साइन्स : हमारे यहां रोजमर्रा के कार्यो से जुड़ी भी अनेक परंपराएं हैं. जैसे स्नान के बाद ही पूजा करना, खाने के पहले नहाना, ग्यारस को चावल नहीं खाना, मंगलवार और गुरुवार को बाल नहीं कटवाना आदि ऐसी ही एक बेहद महत्वपूर्ण और अनिवार्य परंपराओं व नियमों में बाल कटवाने के विषय में भी स्पष्ट संकेत प्राप्त होते हैं.
आज के आधुनिक समय में लोग इन सब बातों को अंधविश्वास कहकर नकार देते हैं, तो वहीं हमारे बड़े–बुजुर्ग इन नियमों का पूरी निष्ठा से पालन करते हैं. जिनका हमें भी पालन करना चाहिए. हिन्दू धर्म द्वारा बनाई गई इन सारी परम्पराओं का या रीती–रिवाजों का हमारे बड़े–बुजुर्ग पालन ऐसे ही नहीं करते बल्कि इन परम्पराओं के तथा रीती–रिवाजों के पीछे एक सुनिश्चित वैज्ञानिक कारण होता हैं. जिसकी वजह से ही इस मान्यताओं का पालन पूरा समाज करता हैं.
अक्सर हम अपने घर में या आपने आस–पडोस में रहने वाले लोगों से सुनते हैं कि हमें सप्ताह के दो दिन मंगलवार और वीरवार को न ही नाख़ून काटने चाहिए और न ही बालों को काटना चहिये. आधुनिक जीवन व्यतीत करने वाले युवकों में प्रत्येक काम को क्यों करना चाहिए या क्यों नहीं करना चाहिए, इनके पीछे के तर्क को जानने की जिज्ञासा रहती हैं
अगर युवक इस प्रश्न का जवाब जानना चाहते हैं कि सातों दिन में से किस दिन नाख़ून काटने चाहिए या नहीं काटने चाहिए. तो वे इसकी जानकारी के लिए वे प्राचीन व प्रमाणिक पुस्तकों का अध्ययन कर सकते हैं. जिसमें इनके पीछे के वैज्ञानिक कारणों के बारे में बहुत ही स्पष्टता से बताया गया हैं, कि मंगलवार तथा वीरवर अर्थात सप्ताह के सात दिनों में से दो दिनों को ग्रह नक्षत्रों की दशाएं ठीक नहीं होती तथा इन दिनों में अनंत ब्रह्माण्ड से आने वाली सूक्ष्म से सूक्ष्म किरणों का मानवीय मस्तिष्क पर बहुत ही संवेदनशील प्रभाव पड़ता हैं.
मानव शरीर की उंगलियों का आगे का हिस्सा तथा सिर बहुत ही संवेदनशील होता हैं. जिनकी रक्षा हमारे कठोर नाख़ून व बाल करते हैं तथा ब्रह्माण्ड की सूक्ष्म किरणों का भी प्रभाव सबसे ज्यादा इन हिस्सों पर ही पड़ता हैं. इसलिए हमारे बड़े–बुजुर्ग तथा हिन्दू धर्म में इन दिनों को बाल काटने की तथा नाखूनों को काटने की मनाही की गयी हैं तथा इन्हें काटना पूरी तरह से अधार्मिक तथा निंदनीय बताया गया हैं, तो वहीं सप्ताह के पहले दिन यानी सोमवार को नाख़ून काटना शुभ बताया गया हैं. जिसके पीछे भी एक विशेष वजह हैं.
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार व हिन्दू धर्म के अनुसार सोमवार को नाखूनों को काटने से मनुष्य की आयु में सात वर्ष की वृद्धि होती हैं तथा ठीक इसके विपरीत मंगलवार और गुरूवार को नाख़ून काटने से मनुष्य की उम्र में से सात वर्ष घट जाते हैं. सोमवार को नाखूनों को काटना इसलिए भी शुभ होता हैं क्यूंकि इस दिन ग्रह नक्षत्रों की दशाएं ठीक होती हैं तथा ब्रह्माण्ड से आने वाली सूक्ष्म किरणें बहुत ही शुभ होती हैं. जिनका प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता हैं और हमारी आयु में सात वर्ष की वृद्धि हो जाती हैं.
क्या विज्ञान है बाल कटवाने के खास दिनों के पीछे : विज्ञान के अनुसार सप्ताह में कुछ ऐसे दिन बताए गए हैं जब ग्रहों से ऐसी किरणें निकलती है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. मंगलवार और गुरुवार को निकलने वाली इन किरणों का सीधा प्रभाव हमारे सिर पर पड़ता है. हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण भाग मस्तिष्क ही है, सिर का मध्य भाग अति संवेदनशील और बहुत ही कोमल होता है. जिसकी सुरक्षा बालों से होती है. इसी वजह से इन दिनों में बालों को नहीं कटवाना चाहिए.
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